Astrazeneca के Covisheild vaccine लगाने के बाद हो सकता है हार्ट अटैक? जानिए क्या है पूरी सच्चाई:
भारत में कोविशील्ड का विस्तार:
कोरोना कल के अत्यंत दुख की घड़ी में Astrazeneca नामक कंपनी के द्वारा विकसित किया गया था और सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा निर्मित किया गया था। भारत सरकार ने इस वैक्सीन को मंजूरी दी। भारत के लगभग 80% लोगों को यह वैक्सीन लगाया गया और कोरोना के कहर से कुछ हद तक राहत प्राप्त हुआ। लेकिन पिछले कुछ दिनों से कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर लोगों में बात उठ रही है कि इसके साइड इफैक्ट्स से हार्ट अटैक आ सकता है। क्या है पूरा मामला लिए विस्तार से रिपोर्ट में जाने का कोशिश करते हैं।
एस्ट्रेजनेका की कोविशील्ड वैक्सीन दुष्प्रभाव पर क्या कहा:
वर्तमान में एस्ट्रेजनेका, ब्रिटेन में अदालत में मुकदमे का सामना कर रही है कि एस्ट्रोजनेका के कोविशील्ड वैक्सीन के कारण कई लोगों की मौत हुई है। 51 केस दर्ज किया गया है।
अदालत के एक कागजात में एक्स्ट्राजनेका ने स्वीकार किया है कि कोविशील्ड " बहुत ही दुर्लभ मामलों में, टटीटीएस (TTS) का कारण बन सकता है।
क्या है TTS?
TTS एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जिसमें थ्रांबोसिस सिंड्रोम (रक्त का थक्का जमना) और थ्रांबोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (प्लेट लेटो की संख्या में कमी आना) शामिल है। प्लेटलेट्स रक्त के महत्वपूर्ण घटक हैं जो शरीर में आने वाले रोगों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में मदद करते हैं।
TTS के लक्षण :-
TTS सिंड्रोम होने पर छाती में दर्द होना या फिर सिर में दर्द बना रहता है। उल्टी की समस्या भी शुरू हो जाती है। रक्त के थक्के बनने के कारण हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है जिससे हार्ट अटैक की भी समस्या उत्पन्न हो सकती है। थक्का के कारण मस्तिष्क में भी रक्त का प्रवाह रुक सकता है जिसमें ब्रेन स्ट्रोक्स का खतरा हो सकता है।
एस्ट्रोजेनिका ने "मरीजों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता" बताया:
एस्ट्रोजेनिका ने एक बयान में कहा - हमारी सहानुभूति उन लोगों के प्रति है जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खोया है या स्वास्थ्य के समस्याओं से जूझ रहे हैं। रोगी की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और हमारी निगरानी में तैयार किए गए सभी दवाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के मानक दंड काफी कठिन हैं और इसे कई सारे टेस्टों से गुजरने के बाद मार्केट में लाया जाता है। हम मरीजों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने का प्रयास करते हैं।
कोविशील्ड के साइड इफेक्ट का मामला कोर्ट तक कैसे पहुंचा:
कोविशील्ड के दुष्परिणाम का पहला मामला 2023 में जेमी स्कॉट द्वारा दर्ज किया गया जिन्होंने 2021 के अप्रैल महीने में कोविशील्ड टीका लेने के बाद, मस्तिष्क में रक्त का थक्का और रक्त स्राव विकसित होने से अस्थाई मस्तिष्क की चोट से पीड़ित हो गए। मई 2030 में भेजे गए एक प्रतिक्रिया पत्र में एस्ट्रोजेनिका ने जेमी स्कॉट के लिए खड़े वकीलों से कहा "हम यह स्वीकार नहीं करते हैं कि TTS सामान्य स्तर पर वैक्सीन के कारण होता है"।
जेमी स्कॉट की पत्नी ने ' द टेलीग्राफ' को बताया कि चिकित्सा जगत ने लंबे समय से स्वीकार है कि वीआईटीटी (थ्रांबोसाइटोपेनिया के साथ वैक्सीन प्रेरित प्रतिरक्षा धनास्त्रता) वैक्सीन के कारण होता है यह केवल एस्ट्रोजनेका ही है जिसने सवाल उठाया की क्या जेमी की हालत वैक्सीन के कारण हुई थी? इसे स्वीकार करने में एस्ट्रोजेनिका को 3 साल लग गए या अभी भी प्रगति सील है। लेकिन हम एस्ट्रोजेनिक और सरकार से अधिक देखना चाहते हैं, अब समय आ गया है की चीजे और तेजी से आगे बढ़े।
"मुझे उम्मीद है कि उनकी स्वीकृति का मतलब है कि हम इसे मामले को जल्द से जल्द सुलझाने में सक्षम होंगे, हमें अपने परिवार और प्रभावित हुए अन्य परिवारों के सदस्यों के लिए माफी व उचित मुआवजे की जरूरत है, हमारे पक्ष में सच्चाई है"।
इन्हें भी जानिए :-
Covisheild Banned: यूरोप के कई देशों ने लगाया प्रतिबंध :-
एस्ट्रेजनेका वैक्सीन के प्रतिबंध का फैसला तब लिया गया जब डेनमार्क में 22 मामले सामने आ गए। ऑस्ट्रिया ने भी इस वैक्सीन पर रोक लगा दी। इन्हें कुछ दिन पहले ही वैक्सीन मिली थी। इस वैक्सीन से 49 साल की एक नर्स की मौत हो गई, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। ऑस्ट्रिया के साथ लिथुआनिया और लक्स्मबर्ग ने भी इस पर रोक लगा दी। भारत में इस्तेमाल की जा रही कोविशील्ड वैक्सीन को दूसरे देशों में एस्ट्रेजनेका कोविड-19 वैक्सीन के नाम से जाना जाता है। वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद लोगों के खून जमने तथा एक व्यक्ति की मौत की खबर सामने आई। इसके बाद डेनमार्क के साथ नॉर्वे और आइसलैंड के सरकारों ने भी इस पर बैन लगा दिया।
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने कोविशील्ड के बारे में क्या कहा :-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार - टीका '18 वर्ष और उसे अधिक आयु के सभी व्यक्तियों के लिए सुरक्षित और प्रभावशाली है' और जिस प्रतिकूल प्रभाव के कारण कानूनी कार्रवाई हुई है वह समस्या "बहुत दुर्लभ" में होता है। डॉ राजीव ने कहा - "जिन लोगों को टीका लगाया गया है, उनमें कोविड से मृत्यु के साथ-साथ, पोस्ट कोविड, दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी जटिलताओ का जोखिम कम किया है"।
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