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तारापीठ मंदिर का रहस्य - Tarapith Samsan
आज के इस लेख में आप सभी का हिन्दू धर्मो के 51 शक्तिपीठ में से एक शक्तिपीठ माँ तारा (तारापीठ) के तारापीठ मंदिर का रहस्य - Tarapith Samsan आप लोगो के साथ साझा करने वाले है | अगर आप सभी को हिन्दुओं के 51 शक्तिपीठों में से एक माता तारा के बारे जानना है तो इस लेख को अंतिम तक जरूर पढ़े |
आपने तारापीठ मंदिर में माता तारा के कई चमत्कार और किस्से सुने होंगे । तंत्र साधना के लिए मशहुर इस स्थान को लोग सबसे अच्छा जगह बताया गया है। तारा देवी का पादपद मंदिर महाशमशान में ही है। लोगो का मान्यता है कि जो लोग भी यहाँ आकर पुरे मन से मनोकामना के लिए ध्यान करते हैं, उनकी मनोकामना माँ तारा ज़रूर पूरी करती है। इस स्थान पर ही वामाखेपा सहित कई संतों की समाधियाँ हैं। इतना ही नहीं इसी जगह पर आप यहाँ का मुंडमालनी भी ज़रूर देखने का कोशिस करे । हिंदुओ के अनुसार माना जाता है कि माँ काली अपने गले की मुंडमाला यहीं रखकर द्वारका नदी में स्नान करने जाती हैं।
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तारापीठ मंदिर का रहस्य - Tarapith Samsan
पश्चिम बंगाल के वीरभूमि जिले में स्थित है तारापीठ मंदिर का रहस्य - Tarapith Samsan । जिला वीरभूमि धार्मिक महत्व के कारण के कारन बहुत प्रसिद्ध है, माना जाता है की हिन्दुओं के 51 शक्तिपीठों में से पांच शक्तिपीठ वीरभूमि में ही है। तारापीठ, बन्दीकेश्वरी , नालहाटी, फुलोरा देवी और बकुरेश्वर। तारापीठ जिला वीरभूमि का सबसे प्रमुख धार्मिक तीर्थ तथा एक सिद्धपीठ भी है। सिद्ध पुरूष वामाखेपा का जन्म यही हुआ था, वामाखेपा आटला गांव के रहने वाले है। जो तारापीठ मंदिर से 2 किमी की दूरी है। लोगो का मानना है की है वामाखेपा को माँ तारा के मंदिर के समीप महाश्मशान में तारा देवी के दर्शन हुए थे। यहु पर वामाखेपा को सिद्धि प्राप्त हुई। माँ तारा, काली माता का एक रूप है। माँ काली ही माता तारा है माँ काली के ही माँ तारा रूप मे पूजा की जाती है।
तारापीठ का श्मशान
तारापीठ के माँ तारा मंदिर के सामने एक महाश्मशान घाट है। उसके बगल में ही द्वारिका नदी है, इस नदी की खास बात यह है कि भारत में सभी नदियां उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। लेकिन तारापीठ के द्नवारका नदी ही एक मात्र नदी है जो की दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।प्रभु श्री राम के पिता श्री दशरथ के कुलपुरोहित वशिष्ठ मुनि का सिद्धासन और तारा माता का अधिष्ठान है तारापीठ। इसलिए तारापीठ हिन्दुओं का पवित्र महातीर्थ कहलाता है। यही वह जगह है जहा पर देवी सती की आंख की पुतली का बीच का तारा गिरा था। इसलिए इस पवित्र जगह का नाम तारापीठ पड़ा ।
tarapith samshan ghat |
तारापीठ क्यों प्रसिद्ध है?
आपने तारापीठ मंदिर में माता तारा के कई चमत्कार और किस्से सुने होंगे । तंत्र साधना के लिए मशहुर इस स्थान को लोग सबसे अच्छा जगह बताया गया है। तारा देवी का पादपद मंदिर महाशमशान में ही है। लोगो का मान्यता है कि जो लोग भी यहाँ आकर पुरे मन से मनोकामना के लिए ध्यान करते हैं, उनकी मनोकामना माँ तारा ज़रूर पूरी करती है। इस स्थान पर ही वामाखेपा सहित कई संतों की समाधियाँ हैं। इतना ही नहीं इसी जगह पर आप यहाँ का मुंडमालनी भी ज़रूर देखने का कोशिस करे । हिंदुओ के अनुसार माना जाता है कि माँ काली अपने गले की मुंडमाला यहीं रखकर द्वारका नदी में स्नान करने जाती हैं।
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तारापीठ का प्रसाद
आप को यह जानकर हैरानी होगी कि तारापीठ मंदिर में प्रसाद के तौर पर शराब भी चढ़ाया जाता है। तारापीठ के तांत्रिक साधु तथा अघोरियो के द्वारा माता को चढ़ाते हैं और खुद भी शराब को पीते हैं। तारापीठ में रोज़ सेकड़ो बकरों की बलि दी जाती है। तंत्र मंत्र शक्ति को मानने वाले लोगो के लिए तारापीठ का महत्व काफी ज्यादा है। तारापीठ के शमशान में जलने वाले शव का धुआँ सीधे तारापीठ मंदिर के गर्भगृह तक जाता है। अघोरियो तथा तांत्रिकों के लिए तारापीठ बहुत ही खास जगह है क्युकी इनलोगों के लिए यहाँ पर सिध्तिप्राप्ति करना आसान हो जाता है। यहाँ पर लोग मंदिर के प्रेत-शिला में लोग आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करते हैं। यहाँ सिर्फ सिर्फ बंगाल से ही नहीं अपितु देश विदेश के पर्यटक अपनी अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं।
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तारापीठ में घूमने की जगह
तारापीठ में घूमने के लिए कई मशहुर जगह है जिन्हें में आप लोगो के साथ निचे साझा कर रहा हु | आप काफी जब भी तारापीठ जाये और अगर घुमने का मन करे तो जरूर इन जगहों पर जाये -
- तारापीठ मंदिर
- नाल्हटेस्वरी मंदिर
- बक्रेस्वर मंदिर
- बिर्चन्द्रपुर मंदिर
- मल्लारपुर शिव मंदिर
तारापीठ में होटल
अगर आप जब कभी तारापीठ मंदिर जाते है तो बिलकुल भी रूम तथा होटल के लिए चिंता मत करिए | क्युकी तारापीठ में 24 घंटे रूम और होटल उपल्ध रहते है | इसका कारन यह है की माँ तारा के दर्शन करने के लिए लोग ज्यादर रात को ही पहुचते है | क्युकी रात में जाने के लिए रस्ते बिलकुल खाली रहती ही साथ ही साथ अगर रात को आप तारापीठ मंदिर पहुचते है तो अघोरियो को आप देख सकते है |
रूम आपको तुरंत किसी भी होटल में नहीं ले लेना है क्युकी ऐसे में आप ठके जा सकते है | इसीलिए एक दो रूम पहले जा के रूम किराया पता कर ले | आप को रूम 500 से 1000 रुपे में अच्छा अच्छा होटल का रूम मिल जाता है | इसीलिए रूम लेने के समय जल्दीबाज़ी ना करे |
नोट : - दोस्तों मैं खुद 5 मार्च 2023 को घूम के आया हु | हमलोग 5 साथी थे | हमलोगों ने एक डबल बेड रूम मात्र 1000 रुपे में लिया था |
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