श्री सम्मेद शिखर जी, पारसनाथ पहाड़ झारखण्ड
दोस्तों अब चलिए जानते है की आखिर पारसनाथ पहाड़ इतना प्रचालित क्यों है और हिंदुस्तान के हर कोने से पारसनाथ पहाड़ को पर्यटन स्थल बनाने से विरोध क्यों हो रहा है |
पारसनाथ पहाड़ कहा स्तिथ है ?पारसनाथ पहाड़ झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिले मे स्तिथ है | पारसनाथ पहाड़ पहाड़ियों का एक श्रृंखला है जो की गिरिडीह जिले के GT Road के बगल मे बसा हुवा है | इस पहाड़ की उच्चाई 1350 मीटर है | यह पहाड़ बहुत ही घना है | जिस कारण इस पारसनाथ पहाड़ के जंगलो मे बाघ , तेन्दुवा, बन्दर, तथा हाथीया पाए जाते है |
पारसनाथ पहाड़ का नाम भगवान् पार्श्वनाथ के कारण पड़ा है ! दोस्तों आगे हम जानने वाले है की भगवान पार्श्वनाथ कौन है और क्यों इनके नाम से इस पहाड़ को जाना जाता है |
जल मंदिर
जैन धर्म वालो के लिए दुनियां का सबसे बड़ा पवित्र स्थल कैसे बना ?पारसनाथ पहाड़ या फिर सम्मेद सिखर जैन धर्म वालो के लिए सबसे पवित्र स्थान इसीलिए मना जाता है क्युकी जैन धर्म के अनुसार जैनों के 24 गुरुओं मे से 20 गुरुओं ने इसी स्थान से मोक्ष की प्राप्ति किये है ! यही कारण है की पारसनाथ पहाड़ को श्री सम्मेद शिखर्जी के नाम से भी जाना जाता है |
जैन धर्म सस्त्रो के अनुसार जैन समुदाव के लोग अपने जीवन काल में श्री सम्मेद शिखरजी के यात्रा जरूर करते है | जैन धर्मो के अनुसार अगर कोई भी इन्सान इस जगह में यात्रा में आते है तो उन्हें मृत्यु के बाद उन्हें पसु योनी और नरक की प्राप्ति नही होती है |
जैन धर्मो के अनुसार , जो व्यक्ति भी श्री सम्मेद शिखरजी पुरे मन - भाव से आते है तथा निष्ठा से भक्ति करता है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है | और यह तभी हो सकता जब तीर्थकरों द्वारा बताये गये उपदेशो , शिक्षाओ और उनके सिधान्तो को अनुपालन करते है |
मोक्ष स्थान जैन धर्म के शास्त्रों के अनुसार , जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में से पहले तीर्थकर भगवान् आदिनाथ ने कैलाश पर्वत पर , 12 वे तीर्थकर भगवन वासुपूज्य ने चम्पापुरी , 22 वे तीर्थकर भगवान् नेमिनाथ ने गिरनार पर्वत और 24 वे और अंतिम तीर्थकर भगवन महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्ति किये थे | शेष 20 तीर्थकरों ने सम्मेद शिखरजी में मोक्ष की प्राप्ति किये थे | 23 वे तीर्थकर भगवन पार्शनाथ ने भी यही से मोक्ष की प्राप्ति किये थे | पार्शनाथ का प्रतिक चिन्ह सर्प है |
भगवान् पार्श्वनाथ
24 तीर्थकरों के नाम - ऋषभ देव
- अजितनाथ
- सम्भवनाथ जी
- अभिनन्दन जी
- सुमतिनाथ जी
- पध्प्रभु जी
- सुपार्सनाथ जी
- चंदाप्रभु जी
- सुविधिनाथ जी
- शीतलनाथ जी
- श्रेश्यन्श्नाथ जी
- वासु पूज्य जी
- विमलनाथ जी
- अनंत नाथ जी
- धर्मनाथ जी
- शांति नाथ जी
- कुंथुनाथ जी
- अरनाथ जी
- मल्लिनाथ जी
- मुनिसुवार्थ जी
- नमिनाथ जी
- अरिस्ट नमी जी
- पार्स्वनाथ जी
- वर्धमान महावीर जी
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आदिवासीयों का मारंग बुरु होने का दावा दोस्तों आप सभी यहाँ में एक और बात बताने जा रहा हु | अभी तक पारसनाथ पहाड़ को लोग श्री सम्मेद शिखर जी के नाम से जानते थे | लेकिन आदिवासीयों तथा मूलवासियो का दावा है की पारसनाथ पहाड़ पर पुरखो से मारंग बुरु का स्थान रहा है | इसीलिए जब से झारखण्ड सरकार ने पारसनाथ पहाड़ को पर्यटन स्थल बनाने का घोसना किये है तब से दोनों धर्मो के लोगो के द्वारा अपने स्तर पर सरकार के खिलाफ धरना और मोर्चा निकाल रहे है |
जैन धर्म वालो का कहना है की पारसनाथ पहाड़ या श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाने से यह पवित्र जगह अपवित्र हो जायेगा | क्युकी जब यह जगह पर्यटन स्थल यही बन गया तो लोग यहाँ मांस , मदिरा , शाराब का सेवन करेंगे | जिस कारन यह पवित्र जगह अपवित्र हो जायेगा | इसीलिए जैन धर्म वाले पुरे हिंदुस्तान में जगह जगह झारखण्ड सरकार के लिए धरना परदर्शन कर रहे है |
जैन धर्म वालो का कहना है की इस पवित्र जगह को पर्यटन स्थल ना बनाया जाये | और पारसनाथ पहाड़ को जैन धर्म वालो के लिए रिज़र्व कर दिया जाये |
इसीलिए आदिवासीयों का कहना है की पारसनाथ पहाड़ सिर्फ जैन धर्म वालो का नही यहाँ के आदिवासी मूलवासियो का भी है | सिर्फ और सिर्फ जैन धर्म वालो का कैसे हो सकता है | इसीलिए आदिवासी समाज के लोग भी सरकार के खिलाफ में धरना पर्दशन जगह जगह पर कर रहे है |
दोस्तों आगे देखते है की सरकार का फेसला क्या होता है |
आशा करता हु दोस्तों आप सभी को हमरा यह लेख आप सभी को अच्छा लगा होगा | आगरा आप सभी को हमरा यह लेख अच्छा लगा हो तो जरूर इससे अपने साथियों के साथ साझा करे | और हमें कमेंट में अपना राय दे |
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