Direct Selling Guidelines Clause 1 and Clause 2
Direct Selling Guidelines क्या है ?
Direct Selling Guidelines
Ministry Of Consumer Affairs, Food & Public Distributors And Department Of
Consumer Affairs के द्वारा On 9, Sep 2016 को पारित किया गया |
धारा 1 : परिभाषा
Guidelines के पहले धारा में
डायरेक्ट सेल्लिंग और पिरामिड स्कीम जैसे बहुत से शब्दों की परिभाषा दी गई है
| गाइडलाइन्स के उलंघन Consumer प्रोटेक्शन
एक्ट 1986 के तहत कारवाही हो सकती है |
गाइडलाइन्स को समझने से पहले इन
शब्दों की परिभाषा को समझना जरुरी है .
डायरेक्ट सेलर :
- डायरेक्ट सेलर वो होता जो कंपनी में distributors लेवल पे कम करता हो | डायरेक्ट
सेलर पहले कंपनी में उस कंपनी ले प्रोडक्ट्स और सर्विस को खरीदता है |
डायरेक्ट सेलर कंपनी के
प्रोडक्ट्स को इस्तिमाल करता है इस कारन कंपनी उस कस्टमर को distributors बना देता
है | इसे ही डायरेक्ट सेलर कहा जाता है
नेटवर्क ऑफ़ डायरेक्ट सेलर : - डायरेक्ट सेलर के टीम में काम करने वाले डायरेक्ट और इन डायरेक्ट distributors
को ही नेटवर्क ऑफ़ डायरेक्ट सेलर कहा जाता . इस का मतलब है की डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी में हर एक
distributors और डायरेक्ट सेलर एक नेटवर्क बनांता है | मतलब की कोई भी डायरेक्ट
सेलर अपने निचे वाले को प्रोडक्ट्स और सर्विस सेल करता है | जिस कारन एक नेटवर्क
बनता जाता है इसको हो नेटवर्क ऑफ़ डायरेक्ट सेलर कहा है .
बस नेटवर्क में ऊपर तो कोई निचे
रहता है .
डायरेक्ट सेल्लिंग
: - कोई भी प्रोडक्ट्स और सर्विस को सीधे कस्टमर को बेचना ही डायरेक्ट सेल्लिंग
कहलाता है |
डायरेक्ट सेल्लिंग में प्रोडक्ट्स
और सर्विस को सेल करने के लिए इस प्रोसेस से गुजरना पड़ता है|
फैक्ट्री – कंपनी – डिस्ट्रीब्यूटर
– कस्टमर
डायरेक्ट सेल्लिंग एंटिटी : - डायरेक्ट सेल्लिंग एंटिटी का मतलब डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी से ही होता
है | जो की पिरामिड स्कीम में न हो | और पूरी तरह से प्रोडक्ट्स और सर्विस आधारित
हो |
प्रोडक्ट्स और सर्विस : - प्रोडक्ट्स और सर्विस बेचने लायक होना चाहिए , जो expire न हो | वही
समय और जगह के अनुसार बेचा जाना चाहिए | प्रोडक्ट्स और सर्विस पे ही डायरेक्ट
सेल्लिंग कंपनी चलती है | और प्रोडक्ट्स और सर्विस के अनुसार प्रोडक्ट्स और
सेर्विए की क्वालिटी होना चाहिए |
कुलिंग ऑफ़ पीरियड
: - यह एक समय अवधि है , जब डायरेक्ट सेलर किसी कंपनी से धारा 4 के तहत समझोता
करता हो | और उस दिन तक जब डायरेक्ट सेलर के बिच समझोता ख़तम होता है | इस बिच
डायरेक्ट सेलर कोई भी अपराधिक मामला किये बिना समझोता ख़त्म करता है |
पिरामिड स्कीम :
- पिरामिड स्कीम वह होता है , जो MLM के नाम पे चलता हो | लकिन वह ना ही डायरेक्ट
सेल्लिंग और न ही MLM होता है | पिरामिड स्कीम गैर क़ानूनी है |
पिरामिड स्कीम में लोगो को
जोड़ने पर एक निश्चित पैसा देने की नियम होता है | पिरामिड स्कीम में डायरेक्ट
सेल्लिंग की तरह प्रोडक्ट्स और सर्विस नही होता है सिर्फ दिखावे के होते है |
cosumer : -
उपभोक्ता वो होता है जो कंपनी का प्रोडक्ट्स और सर्विस को इस्तिमाल करता हो |
उपभोक्ता को कंपनी से डायरेक्ट सेलर जोड़ता है और कोई भी उपभोक्ता डायरेक्ट सेलर बन
जाता है |
डायरेक्ट सेलर कंपनी के गुण : - डायरेक्ट सेल्लिंग गाइड लाइन्स के अनुसार अगर कंपनी में ये गुण नही
होते है तो वह MLM और डायरेक्ट सेल्लिंग के अधीन न आकार पिरामिड स्कीम कही जाएगी है
|
a) a) कंपनी में पहले से निश्चित नही
होना चाहिए की इतना लोगो को ज्वाइन करवाने पर इतना पैसा दिया जायेगा | अगर कंपनी
यह पहली ही बताती हो तो यह पिरामिड स्कीम है | क्युकी रेफेरल इनकम निचे जुड़ने वाले
लोगो की बिक्री पर निर्भर करता है | उसके नुसार कुछ पर्तिशत मुनाफा तय होता है |
इसीलिए पहले से कोई अनुमान नही लगा सकते है की नया डायरेक्ट सेलर कितना बिक्री
करता हो |
b) b) कंपनी
अपने डायरेक्ट सेलर से निश्चित रूप से प्रोडक्ट्स और सर्विस की बिक्री की उम्मीद
नही कर सकती है | यह डायरेक्ट सेलर पे निर्भर करता है की वह कितना बिक्री कर सकता
है | इसीलिए कंपनी मात्रा और राशी के अनुशार निश्चित बिक्री हर डायरेक्ट सेलर के
लिए तय नहीं कर सकता है |
c) c) कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर से
किसी भी तरह का फी किसी के नाम पे नही ले सकता है डायरेक्ट सेलर को कंपनी से सिर्फ
प्रोडक्ट्स और सर्विस लेने के पैसे देने होते है | कंपनी एंट्री फी लेती है तो वो
भी गैर क़ानूनी है |
d) d) कंपनी
अपने डायरेक्ट सेलर को समय अवधि देती है जिसमे वह कंपनी को कभी भी छोड़ सकता है और किसी
भी तरह का रिफंड उसका बकाया नही रहेगा |
e) e)डायरेक्ट सेलर के कहने पर कंपनी
को प्रोडक्ट्स/सर्विस को वापस लेना , अगर प्रोडक्ट्स और सर्विस बेचने लायक हो तो |
f) f) वही कंपनी को डायरेक्ट सेलर और
उपभोक्तायो से आनी वाली सभी शिकायतेऔर समस्याका समाधान जल्द से जल्द करना पड़ेगा |
Remuneration System : -
कंपनी को पहले ही
अपने डायरेक्ट सेलर से इनकम प्लान और किस प्रकार की कमीशन मिलेगा , ये बताना होता
है | कंपनी को पहले ही किस तरह और कितना पेआउट है इस पर पूरी जानकारी देनी होगी |
a) a) कंपनी पहले से निश्चित नही कर
सकती की इतने लोगो को जोड़ने पर इतना पैसा मिलेगा | ऐसा करने वाली सभी कम्पनी
पिरामिड स्कीम होती है |
b) b) डायरेक्ट
सेलर की कमाईउनके और उसके नेटवर्क के द्वारा किये जाने प्रोडक्ट्स और सर्विस की
बिक्री पर निर्भर करता है
c) c) कंपनी को डायरेक्ट सेलर को
कितना कमीशन किस प्रोडक्ट्स की कितना बिक्री पर मिलेगा पूरा प्लान पहले ही बताना
होगा |
धारा 2 : डायरेक्ट सेल्लिंग बिज़नेस की स्थापना के लिए शर्ते-
1. किसी भी डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी के स्टार्ट होने होने के 90 दिनों में इन शर्तोऔर प्रक्रिया को पूरा करना होगा |
1. 2. कंपनी को सबसे पहले भारत सरकारके अन्तर्गत रगिस्त्रतिओन कराना होगा |
2. 3. कंपनी को अपने लीडर और डायरेक्ट सेलर के लिए एक मीटिंग कराना होगा | जिसमे उसे कंपनी की पूरी जानकारी , बिज़नेस प्लान के साथ आचे ढंग से समझोता समझाना होगा | जिससे वह डायरेक्ट सेलर नए डायरेक्ट सेलर को समझा सके |
3. 4. कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर के सारे अधिकार और कर्तब्य बताने होंगे |
4. 5. कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर की साडी बकाया रासी को चुकाना होगा |
5. 6. कंपनी को डायरेक्ट सेलर का प्रोडक्ट्स और सर्विस न बिकने पर रिफंड परक्रिया की जानकारी देनी होगी | जिसमे कंपनी वापस प्रोडक्ट्स लेगी और पैसा देगी | जो की डिस्ट्रीब्यूशन के ३० दिन तक ही मुमकिन है |
6. 7. कंपनी को डायरेक्ट सेलर को एक कुलिंग-ऑफ समय बताना होगा , जब डायरेक्ट सेलर प्रोडक्ट्स और सर्विस वापस देना चाहता हो और वो प्रोडक्ट्स कुलिंग – ऑफ अवधि में ख़रीदा गया हो |
7. 8. कंपनी के प्रबंधकऔर अध्यच पदों पर मोह्जूद लोगो में किसी पर भी दंडनीय अपराध का मामला पिछले ५ साल तक किसी भी कोर्ट में न हो |
8. 9. कंपनी का अपना राज्य में छेत्रधिकार कार्यालय होना जरुरी है | जहा से सभी प्रोडक्ट्स और सर्विस का लेनदेन व समस्यों का समाधान होगा |
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1 Comments
Thanks for sharing
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