Lilori dham dhanbad jharkhand | लिलोरी स्थान - एक रहस्यमय

 दोस्तों आज हम एक आर्टिकल के बारे में बताने जा रहे ह जो की झारखण्ड की सबसे प्रसिद और  काफी  पुरानी तीर्थ स्थल है जो की 800 साल पुरानी है | यह मंदिर कतरास में है जो की धनबाद रेलवे स्टेशन से 22 किलो मीटर दूर है | यह मंदिर काफी ज्यादा पोपुलर है | इस मंदिर में लोग शादी करवाने के लिए पहले से ही लाइन में लगना पद जाता है तब जा के नंबर मिलता है |

आगे में जानेंगे की आखिर यह मंदिर इनता पोपुलर क्यों है और सबसे पहले इस मंदिर में किसने पूजा करी थी | 

दोस्तों अगर आप सभी को इस मंदिर के बारे में पूरी तरह से जानना है तो जरूर इस लेख को अंत तक पढ़े |

लिलोरी स्थान कहाँ स्तिथ है |

माँ लिलोरी स्थान झारखण्ड राज्य के धनबाद जिले कतरास में स्थित है | इस मंदिर के सबसे सामने का रेलवे स्टेशन का नाम है निचितपुर | आप निचितपुर रेलवे स्टेशन में उतर के आप इस मंदिर में 10-15 में पहुच सकते है | माँ लिलोरी धाम धनबाद स्टेशन से लिलोरी स्थान की दुरी 22 किलो मीटर है तथा निचित पुर से कुछ दुरी पे स्थित है  माँ लिलोरी धाम जाने के लिए बहुत सारी सुविधाए उपलब्ध है जेसे :- ऑटो , बस  इत्यादी कि सुविधाए है |



माँ लिलोरी स्थान की एतिहासिक स्थान  |

 यह मंदिर धनबाद के राजा सुजन सिंह ने माता की प्रतिमा को 800 वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश के रीवा के राजघराने के वंशज की मदद से कतरास के इस घने जंगल में माता की प्रतिमा को स्थापित किया था | उस समय यह स्थान काफी घनघोर जंगल हुआ करता था | इस जंगल में हाथी तेंदुवा, बाघ , बंदर और साप भी पाया जाता था | इस जंगले में कई तरह के विशेले जानवर पाए जाते थे | क्युकी उस ज़माने में यहाँ काफी जंगले हुवा करता था | 
माँ लिलोरी स्थान राजा सृजन सिंह के कुलदेवी के रूप में पूजा अर्चना करने लगे थे | और तब से आज तक इस मंदिर में सबसे पहले राजा के घर से ही कोई सबसे पहले पूजा करते है | 


मान्यता 

लोगो का मान्यता है की जो भी इस मंदिर में पुरे तन मन धन से पूजा अर्चना करते है उसकी सभी मनोकामनाए पूरी होती है तथा इस  मंदिर में पूजा आराधना करने से लोगो की मननत पूरी होती है और  मन को शान्ति पहुचती है | 



माँ लिलोरी स्थान पोपुअर क्यों है |

माँ लिलोरी स्थान  झारखण्ड में इतनी फेमस है की लोग देश बिदेश से सर्धलुवो माँ की दरसन करने आते है | यहाँ भक्त चुंडरी की गाठ बांध कर अपने मन्नत मांगते है और मननत पुरे हो जाने पर वापस चढ़ावा चढाने के लिए आते है| इसी कारण से काफी संख्या में श्रद्धालु लोग झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, ओडिशा से आते है |
इन्ही कारणों के कारन माँ लिलोरी धाम पुरे विश्व में परसिद्ध है|

लिलोरी स्थान में क्या चढ़ावा होता है

भक्तो की मनोकामना  पूरी  होने के बाद लोग चढ़ावा में बकरा , परसाद के रूप  नारियल  चढ़ाते है | यहाँ पे शादी विवाह करने के लिए लोग बहुत ही दूर दूर से आते है यहाँ पे शादी और देवी दरसन करने के लिए लोगो को लम्बी कतार लाइने लगी रहती है तथा बहुत ज्यादा ही भीड़ होता है | ऐसा लगेगा की जैसे कोई मेला लगा हो | 


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लिलोरी मार्किट 

इस मंदिर के परिसर में आपको बहुत बड़ा मार्किट मिल जायेगा जहा पर लोग तरह तरह के फल फूल , पूजा सामग्री इत्यादि बेचते है | तथा बच्चो को लुभाने के लिए तरह तरह के खिलोने इत्यादी भी बेचते है है | इस मार्किट में आपको पूजा के सभी तरह के सामग्री मिल जायेगा जैसे - फल , फूल, नारियल , सिन्दूर , घास , घी  इत्यादि | पूजा के सभी सामग्री मिल जाता है | 

माँ लिलोरी स्थान 

इस मार्किट के होने के वजह से यहाँ के लोकल लोगो की आजीविका चल रही है | लोग यहाँ पर अपना दूकान खोल कर रोज के 1000 - 2000 रु रोज कमा रहे है और इस तरह से यहाँ के लोगो के लिए माँ लिलोरी स्थान एक वरदान है | 

कतरी नदी 

कतरी नदी माँ लिलोरी मंदिर के अगल से ही गुजरती है जिस करान इस मंदिर की सोंदर्य और भी ज्यादा बढ़ जाती है | इस नदी में लोग स्नान , पैर हाथ धोते है और फिर यही से पूजा करने के लिए माँ लिलोरी की मंदिर में चले जाते है |


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