Success Story Of A Village Boy | Kamlesh Kumar , Mandi , Himachal Pradesh |

SUCCESS STORY



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Kamlesh Kumar 

 

दोस्तों आज में आप लोगों को ऐसे इन्सान का Story सुनाने जा रहा हू जिन्होंने बचपन से ही बहुत ही Struggle किये है, और आज एक अच्छा खासा पैसा कमा रहे, साथ ही एक अलग पहचान बना लिए है | अगर आप ऐसे इन्सान से कुछ सीखना चाहते हो तो , STORY को पूरा पढ़े |


                         Transform version of Mr. Kamlesh ji  

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Kamlesh Kumar 2020


उस इन्सान का नाम है मिस्टर कमलेश कुमार | इनका जन्म जिला “मंडी” के छोटे से गाँव “बरोट” , “हिमाचल प्रदेश” में हुआ | वह एक गरीब परिवार से है | इनके परिवार में पुरे 8 सदेश्य है | इनके घर में एक ही कमरा हुआ करता था और एक ही कमरे में सभी सदस्य एक साथ सोते थे | बरसात के दिनों में घर में बारिस का पनी घुस जाया करता था | जिस कारन बहुत मुशिबतो का सामना पुरे घर वालो को करना पड़ता था | यह अपने परिवार में भाइयो बहनों में से तीसरे नंबर के है | जब ये सिर्फ 6 साल के थे उसी समय इनके माता जी दे देहांत हो गया था | इनके पिता जी किसान है और गाँव में ही खेती करते है | घर एक मात्र कमाने वाले में इनके पिता जी ही थे | जिस कारण बचपन में इन्हें थोडा बहुत मुशिबतो का सामना करना पड़ा | लकिन मुशिबतो को देख के कभी घबराये नही | इनका पढाई लिखे गाँव के ही सरकारी स्कूल में हुआ | इनके घर में कोई भी किसी भी तरह की सुविधाए नही थी जैसे – टेलीविज़न, फ्रिज , मोटर साइकिल

जब वह क्लास 4 में थे थाभी से ही पापा के साथ लकड़ी काटने का काम करने जाया करते थे | आप सोच सकते है चोथी क्लास के लड़के को कितना कतिनायो का सामना करना पड़ रहा होगा |

 लकिन फिर भी इन्होने हार नही मानी और पुरे लगन और मेहनत के साथ काम किये | उस छोटे से उम्र में इनको खाना भी खुद बना के खाना पड़ता है | और खाना भी इन्हें बनाना नही अता था | लकिन घर की स्तिथि को द्रेखते हुवे , इन मन में ही ठान लिया था की जिस मुशिबतो का सामना मुझे करना पड़ा है वह अपने भाई और बहन को नही नही होने देंगे | इसीलिए इन्होने मन मन ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो मुझे पैसा कमाना है और पिता जी का मदत करना है | ओव यह इन्होने इसीलिए मन ही मन ठाना क्युकी अपने पिता जी का मेहनत देख के इनको पिता जी को मदत करने का थान लिया था | जिस वजह से पढाई इन्हों बिच में ही छोड़ दिए |

भाई बहन का पढाई के ट्यूशन फी के लिए घर में पैसे भी नही होते थे | इसीलिए इन्होने कुली का भी काम करना शुरू कर दिए थे ताकि घर में किसी क पड़ने में कोई दिक्कत न हो | इसके बाद इन्होने दिहाड़ी का भी काम किये |

इन्हें नई कपडे पहनने का भी बहुत सोक था लकिन हालत ही कुछ ऐसा था की नए कपडे का नसीब नही होता था | इन्होने चाहे मेला हो , शादी हो , पार्टी हो हार जगह स्कूल वाला ड्रेस को ही पहन के चले जाते थे | दुसरे बच्चो को देख के तो इनका भी बहुत मन करता था की नए नए कपडे पहने खिनोले ले , विडियो गेम ले | लकिन तक़दीर का कुछ और प्लान था | जब कभी आस पास मेला लगता था तो पिता जी इन्हें सिर्फ 10 रू दिया करते थे और उसी 10रू से इन्हें खिलना , नास्ता करना सभी शामिल था | आप सोच सकते है की इन्होने किस तरह से खुद को संभाल के और खुद को मना के रखे थे |

इन्हें भी दुसरे बच्चो की तरह टीवी देखना बहुत पसंद था जिस कारन टीवी देखने के लिए दुसरे के घर में टीवी देखने जाते थे लकिन वह पर भी इन्हें एंट्री नही मिलती थी

खेलने का बहुत सोक था लकिन गाँव वाले लड़के इनके साथ नही खेलते थे और इनका मनोबल गिराते थे और इसी कारन इनको बोलने में भी दर होने लगा था |

 

जब पहली बार घर से बहार निकले -  

17 साल की छोटी से उम्र में इन्होने घर को छोड़ दिया | ताकि कुछ पैसा कम सके और घर वालो को मदत कर सके | बहुत मुस्किल के बाद इन्हें 2012 Excel कंपनी में जॉब मिला | जहा पर इन्हें Door – Door Marketing करने का अवसर प्राप्त हुआ | इनका Salary वहा पे मात्र 3000 हुवा करता था | फिर भी इन्होने काम करना शुरू कर दिया | उन सैलरी में से 1500रु खाने पिने में , और बाकि के फील्ड में जाने में खर्च हो जाया करता था | फिर भी इन्होने इस काम को एक लग्न के साथ काम किया | क्युकी वह जिंदगी में कुछ अलग करना चाहने का ठान लिए थे | और इसी लगन के वजह से सिर्फ 7 माह के अंदर इन्हें Assistance Manager बना दिया गया | और सैलरी में थोड़ी बढ़ोतरी हुवी जो सिर्फ नाम काम था | इनका सैलरी 3000 से बढाकर 3500 कर दिया गया | लकिन फिर भी इन्हें ख़ुशी नही थी क्युकी इन्हें पता था इतने में से कुछ नही हो सकता है | Door–Door Marketing करने के लिए इन्हें गावो में जाना पड़ता था और गाँव गाँव पैदल ही घूमना पड़ता था | गाँव जाने के लिए पहाड़ो से हो के गुजरना पड़ता था जिस कारन , कभी कभी पैरो में छाले पड़ जाते थे | कभी कभी तो वापस आने के लिए बस भी नही मिलता था जिस कारन लोगो से मदत ले के आना पड़ता था , कभी कभी तो पैदल ही 15-20 किलो मीटर चल के अपना रूम आना पड़ता था | बाद में इन्होने यह जॉब छोड़ दिया |

 

फिर वह चंडीगढ़ चले गए, जहा उन्हें कॉल सेण्टर में जॉब मिला | वह पर इन्हें 5500 सैलरी मिला करता था | जो की पहले वाला से कभी अच्छा था | लकिन फिर भी 5500 में से कुछ भी नही बचा प् रहे थे | इसीलिए इन्होने कॉल सेण्टर को भी छोड़ दिए और बाद में SigmaTel कंपनी को ज्वाइन कर लिए | जहा पर इनका सैलरी 6000 मिला | फिर भी खुश नही थे | फिर इन्होने उस कंपनी को भी छोड़ दिए | और घर चले गये | और इस बार इन्होने पड़ने के बार सोचे और होटल मैनेजमेंट का पढाई करने के बारे सोचे लकिन स्तिथि अभी भी पहला जैसा था , जिस कारन पढ़ नही पाए |

इसके बाद फिर इन्होने excel कंपनी को ज्वाइन किया लकिन जल्दी ही फिर छोड़ दिए | इसके ये मोहाली चंडीगढ़ फिर चले गए जहा पे इन्होने ब्यूटी पारलर में काम किया| इसके बाद फिर इन्होने होटल में काम करना शुरू कर दिया | जहा पे इन्हें बर्तन धोने का काम करना पड़ता था | experience बढ़ने के वजह से उसी होटल में इन्हें वेटर का काम करने का मोका मिला | बाद में वही पर कुकिंग के काम करने का मोका मिला | लकिन काम बहुत कर्ण पड़ता था सुबह 7 बजे से रात के २-३ तिन बजे तक करना पड़ता था | जिस कारन फिर इन्होने काम छोड़ दिया | और दोबारा घर चले गए , जॉब को छोड़ने के वजह से उस कंपनी ने इन्हें सैलरी भी नही दिया | और दोबारा से इन्होने गाँव में ही लेबर का काम करना शुरू कर दिए | इस बार गाँव में ताने सुनना शुरू हो गया था |

इसके बाद फिर अपने दोस्त के साथ दुसरे कंपनी में काम करने चले गए | जो काम इनके लिए बिलकुल ही नया था | यहाँ पर इन्हें सेव पैकिंग करने का काम मिला | यहाँ पर भी इन्हें दिन रात काम करना पड़ता था | यहाँ पर 7 माह काम किये और चंडीगढ़ चले गए |

Life Changing Opportunity  

सन 2015 Job requirement  का Poster देखकर चंडीगढ़ चले गए | जहा पर इन्हें Dynamic Beneficial Accord Pvt Ltd नाम का कंपनी मिला, जो की एक डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी है | यहाँ पर इन्हें ट्रेंनिंग लगाया | इस ट्रेनिंग के दोरान इनका जीवन का Reason और Vision दोनों ही क्लियर कर दिया | जिस वजह से इनको लगा की मुझे लाइफ में जो चाहिए सिर्फ यही इंडस्ट्री दिला सकती है मेरा सपने पूरा कर सकता है | इसीलिए इन्होनी इस बार यहाँ पे अलग नए जोश के साथ इस काम को करना शुरू किया | इस काम को करने के समय भी इन्हें बहुत मुशिबतो का सामना करना पड़ा | क्युकी इनके कोई भी दोस्त साथ नही दिए न किस्मत ने साथ दिया |

लेकिन इनके जिंदगी में बहुत पहले ही दो नए चेहरे से मुलाकात हो चूका था , जो इनके साथ हमेसा खड़ा थे , वे थे मिस्टर अखिल महाजन और मिस प्रिया जी | जिन्होंने इनका पूरा साथ दिया | इसके साथ को देखते हुवे इनके उंदर एक नए उम्मीद जगा | अब इन्हें लगा की अब में जिंदगी में कुछ खास पहचान बना लूँगा | और सन 2019 में एक नए उम्मीद और जोश के साथ इस बार Iconivo Tyrants Market Private Limited  कंपनी में काम करना शुरू किये | जो की एक डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी है |

शुरू में इन्हें इस कंपनी में भी रिजल्ट नही मिला | फिर बाद में उसी कंपनी के दुसरे ब्रांच जो की छतीसगढ़ , अंबिकापुर सिटी में इन्हें भेजा गया | और इस बार किस्मत इनके साथ था | लकिन उन्हें कहा पता था | शुरुवात में यहाँ भी इनका साथ बहुत कोई छोड़ दिए | लकिन मिस प्रिय जी ने इनका साथ नही छोड़ा | और दोनों मिल के अपना स्ट्रगल जरी रखा , और हर नही माना|

एक माह बाद एक नए लड़के से मुलाकात हुआ | जो की बहुत ही गरीब था , उस लड़के का नाम था मिस्टर लव-कुश | यह लड़का गरीब तो था ही लकिन जिंदगी में कुछ करना चाहता था | इस लड़के के इसी सोच ने मिस्टर कमलेश जी का किस्मत बदल डाला और एक अच्छी लाइफ स्टाइल दिलाने में मदत किया |

अंबिकापुर के सभी Distributors और Leaders ने भी इनका साथ खूब दिया |

इस सब के सपोर्ट के वजह से और खुद की मेहनत के दम पे आज अच्छा खासा जिंदगी जी रहे है | जैसा वह चाहते थे | और यह सब पॉसिबल इसलिए हुवा क्युकी मिस्टर कमलेश जी के अंदर जिद्दीपन था , हार ना मानने वाली क्वालिटी था |     

मिस्टर कमलेश जी कहते है छत्तीसगढ़ इनके अबतक के जिंदगी का सबसे अच्छा मोमेंट रहा |

 

लास्ट में मिस्टर कमलेश जी कहते है –

“ सफलता एक दिन में नही मिलती ,

पर एक दिन जरूर मिलती है

इसीलिए धर्य बनाये रखिया ! “ – Mr. Kamlesh Kumar

 

दोस्तों आपने पढ़ा और देखा की इतना मुशिबतो के बावजूद भी हार नही माने |

 

दोस्तों यदि आपने इस इन्सान का पूरा स्टोरी पढ़ा होगा तो मुझे विस्वास है आपको इनसे बहुत कुछ सिखने को मिला होगा |

दोस्तों यदि आपको इनके स्टोरी से कुछ सिख मिला होगा तो, जरूर इसे अपने दोस्तों में share करे ! और कमेंट्स में अपना राय दे, आपको कैसा लगा इनका स्टोरी जान के | क्युकी हमें पता है इतना तो आप कंजूस नही होंगे |  

मेरे तरह से इस इन्सान को ढेरो सारी सुभकामनाये , दुआ करूँगा की आप जिंदगी में और आगे जाये |

 

 

 

     Author

Prem Raj Mahto

      

 

 

 


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